आन्तरिक चेतना शिव शक्ति विशुद्ध अघोर मार्ग

मल्टीमीडिया के इस युग में ग्राफ़िक वीडियोज का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है और यह तेजी से बढ़ता जा रहा है! ऐसा कहा जाता है एक वीडियो, एक ऑडियो से अधिक प्रभावी होती है क्योंकि वीडियो के माध्यम से प्रस्तुतकर्ता अपनी बात को बेहद प्रभावशाली तरीके से दर्शकों के समक्ष रखता है! उसके हाव भाव, विचार और उसका सेंस ऑफ ह्यूमर उसके दर्शक को एक उच्च सीमा तक प्रभावित करता है और दर्शकों को उसे समझने व निर्णय लेने में सहज महसूस होता है!

इसके अतिरिक्त वीडियो एक ऐसा माध्यम है जो प्रस्तुतकर्ता की विश्वसनीयता को और अधिक बढ़ा देता है !

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए शिवकेशी विषनाथ ने अपने उन साधकों के लिए, जो कि ऑनलाइन कोर्स से जुड़े हैं, समय समय पर वीडियो प्रस्तुतिकरण की व्यवस्था की है, ताकि वे बेहतर तरीके से कोर्स को समझ सकें और अपनी समस्याओं व संदेहों अथवा प्रश्नों के उत्तर तुरन्त प्राप्त कर सकें!

(परिचय/उद्देश्य और नियम)..

पंथ : आन्तरिक चेतना शिव शक्ति मार्ग विशुद्ध अघोर

पंथ जनक : विषनाथ अघोरी

सद्गुरु देव : पूजनीय श्री गोरखनाथ अघोरी जी

पंथ इष्ट : सदाशिव, माँ भगवती, महाकाल, महाकाली, भगवान शिव के समस्त स्वरूप और उन का विशिष्ट सिद्धेश्वर अघोर स्वरूप!!

पंथ उद्देश्य : नवीन और वरिष्ठ साधकों का आध्यात्मिक मार्गदर्शन व अधिक से अधिक लोगों को आध्यात्म में जोड़ना, जिससे उनकी व्यवहारिक व आध्यात्मिक दोनों उन्नति हो सके और भारत की प्राचीनतम लुप्त विद्याओं को पुनः संरक्षित करना!!

नियम…

1) चरित्र बल अनिवार्य!

2) माँस, मछली, अंडा पूर्णतया निषेध!

3) मार्गदर्शक अथवा गुरु और इष्ट समर्पण के अभाव में इस मार्ग की कोई भी साधना फलीभूत नहीं होगी!

4) इस मार्ग में गुरु का स्थान निःसंदेह उच्च है किंतु याद रहे कि परम और इष्ट शक्तियों से सदैव निम्न रहेगा!

5) गुरु को ह्रदय में रखना होगा न कि मंदिर में, मंदिर में गुरु की छायाप्रति पूर्णतया निषेध!

6) किसी भी इष्ट शक्ति की छाया प्रति पर इस मार्ग से जुड़ा कोई भी व्यक्ति अथवा साधक किसी भी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं करेगा!

7) चरण स्पर्श पूर्णतया निषेध!

(इस मार्ग में इष्ट शक्तियों का स्थान सर्वोपरि है!)

(जो भी साधक उपरोक्त नियमों का पालन नहीं करता, वह हमारे मार्ग में जुड़ने योग्य नहीं, न ही कभी सफल होगा क्योंकि नियम उल्लंघन आपको सफलता से सदैव दूर रखेगा, साथ ही आप इष्ट द्वारा दण्ड के पात्र होंगे क्योंकि ये सारे नियम उन्हीं के मार्गदर्शन से प्रतिपादित किये गए है)

जय श्री महाकाल!!!