Frequently Asked Question

अध्यात्म वह मार्ग है जो आपके जीवन को जीने में एक आनन्द की अवस्था को घटित करता है ।
आत्मिक शान्ति ,संतुष्टि,भौतिक उन्नति के साथ आपको परमात्मा से जोड़ने की कला ही अध्यात्म है ।

जी एक ही माला से सारे मन्त्रों का जाप करना सम्भव है , सारे मन्त्रों के जाप के लिए मूलतः रुद्राक्ष माला का प्रयोग किया जाता है , परन्तु कुछ विशेष साधनाओ के लिए अलग मालाओं का प्रयोग करने को कहा जाता है तब आप उसी माला का प्रयोग करें जिसके लिए आपको उस साधना में प्रयोग करने को कहा जाता है ।

अप्सरा साधना सिर्फ वही व्यक्ति कर सकता है जिसका विवाह नही हुआ , विवाहित व्यक्ति अप्सरा साधना नही कर सकता है अगर वह करता है तो उसकी वैवाहिक जीवन मे बहुत सी समस्याएं प्रकट होंगी ।

आंतरिक चेतना शिव शक्ति विशुद्ध अघोर मार्ग के मन्त्र साधनाओं में बलि का प्रयोग पूर्ण वर्जित है ,
यहां बलि का तातपर्य किसी भी जीव को हानि पहुचाने से है ।
आंतरिक चेतना शिवशक्ति विशुद्ध अघोर मार्ग साधनाओं में आप सिर्फ नीबू बलि का प्रयोग कर सकते हैं अथवा स्वयम की अनामिका ऊंगली में थोड़ा सा कट लगा कर थोड़ा स्वरक्त अर्पित कर के शक्ति के प्रति अपना समर्पण व्यक्त कर सकते हैं ।

आर्थिक उन्नति के लिए आप मुख्यतः यह साधनाये कर के आर्थिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं
आसुरी लक्ष्मी साधना , लक्ष्मी साधना,कुबेर साधना,धनदा यक्षिणी साधना,सुलेखा यक्षिणी साधना

ॐ नमः शिवाय मन्त्र का अधिक से अधिक जाप करें ।

जी बिल्कुल कर सकते हैं अध्यात्म और परमात्मा का मार्ग सभी के लिए खुला है !

सात्विक साधनाये आप बिना गुरु के कर सकते हैं लेकिन आप इसी क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं तो फिर एक सही गुरु अथवा मार्गदर्शक अवश्यक है।

साधना काल मे ब्रह्मचर्य बहुत ही महत्वपूर्ण है अन्यथा साधना सफल नही होगी , ऊर्जा के पूर्ण निर्माण के अभाव में साधना खंडित हो जाती है ।

चरित्र पर कायम रहें इष्ट शक्ति पर समर्पण रखें और गुरु अथवा मार्गदर्शक का सदैव सम्मान करें !

शक्ति का प्रत्यक्षीकरण सिर्फ शक्ति के स्वयं के ऊपर निर्भर है , आप का कार्य सिर्फ कर्म करना है ।

आपकी स्वयम की गलती से स्वप्न दोष हुआ है तो निश्चय ही साधना खंडित है ,
परन्तु प्राकृतिक स्थिति में स्वप्न दोष हुआ है तो आप साधना जारी रख सकते हैं इससे साधना खंडित नही मानी जायेगी ।

मां बगलामुखी,माँ आसुरी लक्ष्मी अथवा बैरी नाशक काली कवच जाप/पाठ करें , इससे शत्रु शिथिल होंगे और स्वयम की समस्याओं में उलझ जाएंगे !

रोज कम से कम 21 माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै इस मन्त्र का जाप करें ।

मासिक धर्म के दिनों में जाप रोक दें इसके बाद अतिरिक्त जाप ( जो जाप मासिक धर्म के समय मे छूट गया) और नित्य का जाप कर के साधन दिए हुए समय पर ही पूर्ण करें ।

आसुरी पद्धति में और वैदिक पद्धति में तीक्ष्णता और सौम्यता की भिन्नता है ।

हाँ आप भी आसुरी पद्धति साधना कर सकते हैं लेकिन उसके लिए दृढ़ संकल्पी और मेहनती होना आवश्यक है साथ ही अहंकार और भय से मुक्त होना भी नितांत आवश्यक है ।

नही आसुरी पद्धति में असुरों की पूजा नही होती है बल्कि आसुरी पद्धति वह पद्धति है जिस पद्धति से असुर साधना करते थे ,
उनकी पद्धति से महाशक्तियों की पूजा करने से व्यक्ति तीक्ष्ण फल प्राप्त करता है ।

ध्यान योग अवस्था औऱ स्वप्न के माध्यम से दिव्य शक्तियों से सम्पर्क स्थापित करना मानस शक्तियाँ हैं …!

बिल्कुल आवश्यक है क्योंकि आसन पर बैठ कर किये गए जाप ही साधना में गण्य माने जाते हैं ।