WISDOM KEY

WISDOM KEY (ज्ञान कुंजी)..

“असंभव के पार एक दुनिया है!”(विषनाथ अघोरी)

“कृतज्ञता सबसे बड़ी दक्षिणा है!”(भैरवी शिवकेशी)

“ज्ञान वही जो जीवन बदल दे अन्यथा सब निरर्थक!”(विषनाथ अघोरी)

“समर्पण के अभाव में व्यक्ति कभी कुछ सीख नहीं सकता!” (भैरवी शिवकेशी)

“सच्चा ज्ञानी वही है जो सम्पूर्णता को पाकर सम्पूर्णता का त्याग कर दे!” (विषनाथ अघोरी)

“जब आप किसी को एक सही राह दिखाते हो तब आप परम् के एक और कदम नजदीक पहुंच जाते हो!”

(भैरवी शिवकेशी)

“सच्चा वैरागी वही है जो दौलत के ढेर पर बैठकर भी दौलत से मोह ना रखे!” (विषनाथ अघोरी)

“एक मार्गदर्शक तभी तक मार्गदर्शक है,जब तक वह स्वयम भृमित नहीं है!” (भैरवी शिवकेशी)

“जीवन में कार्य ऐसा करो कि विरोधी भी रोये कि उसने तुम्हारा विरोध क्यों किया!” (विषनाथ अघोरी)

“भक्त सिर्फ भगवान के होते हैं और कृपा सिर्फ ईश्वर करते हैं इंसान नहीं, इन्सान सिर्फ एक माध्यम है!”
(भैरवी शिवकेशी)

“सफलता की तरफ बढ़ते एक पथिक के कदम तब बाधित हो जाते हैं, जब वह मार्ग को मंजिल समझ लेता
है व मार्गदर्शक को खुदा!”
(भैरवी शिवकेशी)

“बुद्ध बनने के बाद ज्ञान घटित नहीं होता बल्कि, ज्ञान घटित होने से व्यक्ति बुद्ध बनता है!” (भैरवी शिवकेशी)

अघोर तत्व…
“न कोई अपना, न कोई पराया !
न मान से प्रसन्नता, न अपमान से शोक !
न जन्म से लगाव, न मृत्यु का भय !
सब से परे सिर्फ शिव नाम भजने लगे जब मन..
समझ लो अघोर जन्म लेने लगा है तुम में!!”

“घट घट से ज्ञान मिलने लगे जब !
कटु परन्तु सत्य दिखने लगे जब !
लोग तुम्हें पागल कहने लगें जब !
किन्तु फर्क न पड़े तुम्हें रत्ती भर !
निष्काम शिव को निरन्तर भजने लगो जब!
समझ लो अघोर जन्म लेने लगा है तुम में!!”

“अघोर एक आन्तरिक अवस्था है ना कि वाह्य!!!”
जब अंतर्मन में निरन्तर शिवतत्व उदय होने लगे तब व्यक्ति अघोर की तरफ अग्रसर होने लगता है !”
(एक अघोरी की अवस्था उसके आन्तरिक परिवर्तन से ज्ञात होती है ना कि वाह्य परिवर्तन से और एक
अघोरी की अवस्था को सिर्फ एक अघोरी ही समझ सकता है!)

(भैरवी शिवकेशी)